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27 Sep 2022 · 1 min read

नशा ए इश्क़ ये छोड़ा न जाए. गजल

ग़ज़ल

नशा ए इश्क अब छोड़ा न जाए ।
जमाने से मगर उलझा न जाए ।

बड़ी मासूम हैं उसकी अदाएं,
कि मुझसे और अब देखा न जाए ।

गरीबों की करो भरपूर सेवा ,
कहीं ये हाथ से मौक़ा न जाए ।

जुनूँ ए इश्क़ से डरने लगा दिल ,
कहीं ये उम्रभर बढ़ता न जाए ।

बड़ा खुदगर्ज़ निकला आदमी वो,
उसे हरहाल में समझा न जाए ।

हमेसा वक़्त की रफ्तार से चल ,
कभी भी वक़्त को रोका न जाए ।

हुआ दीदार जबसे यार रकमिश,
कि मुझसे रातभर सोया न जाए ।

-रकमिश सुल्तानपुरी
ग़ज़ल पसंद आए तो फॉलो जरूर करे ,, धन्यवाद।

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