Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Sep 2022 · 1 min read

हिन्दी दिवस 14 सितम्बर

विषय – हिन्दी
विधा- मुक्तक

यही हिन्दी हमे पुस्तक यहाँ पढ़ना सिखाती है।
सभी का मान औ’ सम्मान ये करना सिखाती है।
पिता की सीख है हिन्दी गुरु से ज्ञान भी हिन्दी,
वतन के वास्ते जीना हमें मरना सिखाती है।

नदी की तेज लहरें भी ये हिन्दी गुनगुनाती है।
मुखर होकर विहग के मृदु स्वरों में चहचहाती है।
ये हिंदुस्तान की हिन्दी, मधुर रस घोलती जन में,
हमेशा माँ कि ममता में ये हिन्दी मुस्कराती है।

बिहारी, सूर, तुलसी, और, मीरा से सजी हिन्दी।
निराला, पंत, दिनकर औ’ कबीरा से सजी हिन्दी।
सवैया, सोरठा, पद, छंद, रस, से है अलंकृत यह,
प्रकृति की गोद से उपजी, समीरा से सजी हिन्दी।

लिखनी हो वीर गाथा, बनती अदम्य हिन्दी।
शिशु की प्रथम परिधि में, रहती सुगम्य हिन्दी।
भाषा कई हैं जग में, सम्मान है सभी का,
पर ज्ञान वाटिका में, लगती सुरम्य हिन्दी।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित:-
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश
मो. 7428443803

Loading...