काबिल
सिर क्यों झुकाता है,
काबिल तू इतना है।
कटा सकता है सिर जब,
स्वाभिमान से जीने के लिए।।
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।
सिर क्यों झुकाता है,
काबिल तू इतना है।
कटा सकता है सिर जब,
स्वाभिमान से जीने के लिए।।
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।