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9 Sep 2022 · 1 min read

✍️लुटनेवाले कोई ओर थे..✍️

✍️लुटनेवाले कोई ओर थे..✍️
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मैं तो हर भूखे शख़्स के लिए खर्च हो गया
ये जिंदगी उधार की थी और कर्ज हो गया

खुशियों से भरे मेले लुटनेवाले कोई ओर थे..
मगर मेरा ही नाम गुनहगार में दर्ज हो गया
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
09/09/2022

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