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7 Sep 2022 · 1 min read

लोकोक्तियों से दोहे

जैसी औढ़ी कामली, वैसा ओढ़ा खेश l
न तो ना रहेगा सही, तन पर सुंदर वेश ll

जैसी चले बयार तब, तैसी दीजे ओट l
नहीं तो सही बदन में, पैदा होबे खोट ll

जैसी तेरी तोमरी, वैसे मेरे गीत l
दाम दम सहज काम दम, यही है सही रीत ll

जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे विदेश l
नाकारों को त्यागना, सही सही उपदेश ll

जैसे को तैसा मिले, मिले डोम को डोम l
सहज चरित्र बना बना, सही से बढे कोम ll

दाता को दाता मिले, मिले सूम को सूम l
चलाये रख सदा सदा, तोल व मोल मुहीम ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

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