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21 Aug 2022 · 1 min read

✍️नजरअंदाज✍️

✍️नजरअंदाज✍️
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यहाँ हादसो को नजरअंदाज कर जाना
उनके बढ़ते हुए फ़साद का ये सबक है

तुम्हारी गहरी नींद सी ये लंबी ख़ामोशी
धीरे धीरे उजड़ रहे गुलशन का सबब है
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✍️’अशांत’शेखर✍️
21/08/2022

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