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30 Jul 2022 · 1 min read

अंतरराष्ट्रीय मित्रता पर दोहे

मित्र उसको ही बनाइए, हमेशा रहे साथ।
विपदा जब कोई पड़े,हर पल देता साथ।।

सखा कृष्ण सुदामा से,रहे न अब इस लोक।
स्वार्थ भरी मित्रता, जग में मिला शोक।।

मित्र को आधी भी मिले,उसे बाट कर खाय।
मित्र को अपन पैसे का,घमंड न कभी दिखाए।।

मित्र उसे ही बनाइए,गले तुम्हे लगाए।
खराब समय पर तुमको,सहायता दे जाय।।

सखा कर्ण सा चाहिए, राखे मित्र की लाज।
जैसी इच्छा मित्र की,वही करे वह काज।।

मानव सच्चा है वही,कर्म करे जो नेक।
तीन मित्र उसके रहे,सुबुद्धि ज्ञान विवेक।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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