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22 Jul 2022 · 1 min read

आता है याद सबको ही बरसात में छाता।

गज़ल

2212…….1221……..2211……22
यूं तो लगाए रहता है हर आदमी छाता।
आता है याद सबको ही बरसात में छाता।

महबूब को कहीं से कोई देख नहीं ले।
दुनियां की नजर से भी बचाता है ये छाता।

गर्मी से जब भी सूरज डराता है सभी को,
हम सबको धूप से भी बचा लाता है छाता।

बच्चों पे जब भी आते हैं दुख दर्द के बादल,
उनके लिए तो बनते हैं मां बाप ही छाता।

प्रेमी की छांव में ही लगे जिंदगी प्यारी,
मिल जाए आपको भी कहीं प्यार का छाता।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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