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22 Jul 2022 · 1 min read

✍️एक ख़ुर्शीद आया✍️

✍️एक ख़ुर्शीद आया✍️
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जब परछाई के साये
अपने वजूद को
अंधेरो मे खोज रहे थे
जहाँ को रोशन करने
एक ख़ुर्शीद आया…

अज्ञान के गहरे भंवर में
फंसकर उम्मीदों का
साहिल तलाश रहे थे
ज्ञान का महासागर समेटे
एक मुर्शिद आया…

हमने उस विशाल सोच के
सूरज से एक मुट्ठी रोशनी के
जीवन का सार भर लिया
कमाल ये था के इतने ही
उजालों से अँधेरा बदल गया

हमने पुतलों, प्रतिमाओं में
उन्हें पूजकर हक़ अदा कर लिया
पर वो आदिल कितना रोया होगा
जब इँसा ने उसी को खुदा कर लिया
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✍️”अशांत”शेखर✍️
22/07/2022

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