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13 Jul 2022 · 1 min read

गुरु महिमा

जिसने जीवन सफल बनाया गुरु ही वह वरदान है।
जिसने मुझे इंसान बनाया गुरु ही वह भगवान है।

गुरु की महिमा गुरु की कृपा
से में धन्योधान हुआ।
गुरु की वाणी गुरु की बोली
से मन का उद्धार हुआ।

गुरु के उपदेशों को सुनकर
मन का सब संताप मिटा।
गुरु के बतलाए मार्गो से
जीवन का सब कष्ट हटा।

जीवन रूपी भवसागर के गुरु ही एक आधार है
गुरु ही वह एक परमेश्वर जो करते बेड़ा पार है।

गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु गुरु
ही तो परब्रह्म है।
गुरु ही करुणा के सागर है
गुरु ही कोमल मर्म है।

गुरु गुणों की खान भी है और
ज्ञान का भण्डार है।
गुरु दोषों के संहारक और
प्यार का संसार है।

गुरु के दिखलाए रास्ते चल चंद्रगुप्त सम्राट बना
गुरु के आशीर्वाद से ही तो शिवा ने अपना नाम किया।

जन्म ले स्वयं भगवान ने
गुरु की महिमा गाई है।
कृष्ण और बलराम के रूप में
गुरु से शिक्षा पाई।

‘विष्णु’ अपने गुरु के प्रति
अपना कर्तव्य निभाता है।
गुरु की महिमा में यह गाकर
स्वयं को धन्य बनाता है।

गुरु पूर्णिमा पावन पर्व पर श्रद्धा सुमन चढ़ाता है
गुरु के उन पावन चरणों में अपना शीश झुकाता है।

-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’

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