Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Jul 2022 · 1 min read

✍️बंद मुठ्ठी लाख की✍️

✍️बंद मुठ्ठी लाख की✍️
……………………………………………………//
खुद को ही झूठे उम्मीदों पे रखते हो
‘बंद मुठ्ठी लाख की’ यही तो कहते हो

जब खोली मुठ्ठी तो खाली लकीरे थी
और लकीरों को तुम तक़दीर कहते हो
……………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
12/07/2022

Loading...