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10 Jun 2022 · 1 min read

✍️बात मुख़्तसर बदल जायेगी✍️

✍️ बात मुख़्तसर बदल जायेगी✍️
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उसका नूर देखके सोचा
तक़दीर बदल जायेगी।
सूरत देखके चाँद की भी
तसवीर बदल जायेगी।।

इतनी बुलंद कहाँ क़िस्मत
मेरे सितारे गर्दिश में थे ।
किस्मत भी उसे पाने के लिये
अक़्सर बदल जायेगी ।।

एक अरसों से तन्हा ये
मुसाफिरी पैरो में जैसे कैद है।
ठहर उसके कूचे पे, तेरी मंझिल
मुसाफ़िर बदल जायेगी ।।

अक़ीदत कैसे करूँ उसपे
कोई जर्रा महसूस तो करे ।
उसे छूकर देख,तेरी आस्था भी
काफ़िर बदल जायेगी ।।

असर है मुहब्बत का,बिखरने
दे मेरे लफ्ज़ो को मोती बनके।
बात गहरी है फिर भी बात
मुख़्तसर बदल जायेगी ।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
10/06/2022

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