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10 May 2022 · 1 min read

poem

गैरत पर कब कहां नवाजिश होती हैं।
खुद्दारों से कहीं गुजारिश होती हैं?
हम तो पंकज प्यास पे जिंदा रहते हैं।
सहराओं पर कितनी बारिश होती है?

पंकज अंगार
8090853584

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