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30 Apr 2022 · 1 min read

प्रिये सहज जोगन भई ... भाग -२

प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
मन बसे पर न सामने , प्रिय ये कैसा लोप ll

प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
हमरी प्रीत है पूजा, ना है कोई पाप ll

प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
छोड़ छोड़ बैराग ये, हमारी प्रीत नाप ll

प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
प्रीत की सहज भक्ति हो, तो हो मधुर मिलाप ll

प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
भई सही प्रभु प्रार्थना, प्रकटे प्रीत प्रताप ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

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