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5 Apr 2022 · 1 min read

ओ कड़के कंकाल रे , तुझ सा ना कंगाल l

ओ कड़के कंकाल रे , तुझ सा ना कंगाल l
हर जीवन बस जान ले, सहज तेरी मिसाल ll

बिन कारण छूटे सभी, सहज स्वयं प्रतिबंध l
गलती पर क्या सोचना, जो टूटे सम्बंध ll

पास जो है सही रहा, उसको दूर हटाय l
नये नये को जांचना, चिंता जीवन खाय ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

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