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4 Apr 2022 · 3 min read

कुछ मेरी कलम से

4/04/2022
पब्लिक एशिया, अमर उजाला ,सत्यपीदिया के मंच को नमन जिन्होंने मेरी कविताएं प्रकाशित की।
कुछ मेरी कलम से
मुझे लोग कहते हैं ,अरे तुम लेखन करती हो !क्या मिलता है तुम्हें इससे ,कितना कमा लेती हो
कोई और क्यों ??मेरे अपने सगे संबंधियों ने यह कहा शिकायत के लहज़े में। दीपाली हमारे घर आना तो‌ दूर की बात है, तुम फ़ोन भी नही करती हो ।जब छुट्टी होती है तब लिखती रहती हो क्या मिलेगा ?? आंखों को ख़राब कर लोगी ।सारा दिन बिजी रहती हो लेखन मे।
कौन सी महादेवी वर्मा जी या सुभद्रा कुमारी चौहान जी की तरह नाम कमा लोगी ??
बहुत उच्च कोटि की तो लेखनी भी नही है तुम्हारी क्या ही उखाड़ लोगी।।
उनको मैं कहना चाहूंगी_ कमाया है मैंने!एक नाम, एक मुकाम,एक पहचान , सबके दिलों में अपने लिए सम्मान, बड़ों का आशीर्वाद न सही ,छोटों का स्नेह ,सखियों का साथ! यह पूंजी अनमोल है !कमाया तो है मैंने ,पहले मेरी पहचान केवल दीपाली थी। ये नाम मेरे माता-पिता का दिया हुआ है। लेखिका शब्द मेरी स्वंय की कमाई है !बेशक इसमें मेरे माता पिता,,ईश्वर और प्रियजन का आशीर्वाद है !लिखने से मैं अपने पहाड़ जैसे दुख भी भूल जाती हु।
लेखन तो करती थी ,आप सभी को पढ़ती भी थी पर अब जाना कि आपके मन में मेरे लिए जो स्नेह व आशीर्वाद है वो मेरे लिए कितना मायने रखते हैं! आप सभी का मान मुझे रखना है, लेखन की बारीकियों को सीखना है ! मंच का आभार करना चाहूंगी कि आपने मेरी गतिविधियों का सराहा जैसे कि” शब्दझंकार”,किसी विशेष त्योहार पर जैसे एक “दीप सद्भावना का “। वो दिन मेरे मानस पटल पर सदैव अंकित रहेगा ! जब मैंने पहली कविता में अपना दुख व्यक्त किया था तब पब्लिक एशिया के एडिटर ने मुझे अच्छे से समझाया की साक्रात्मक लिखो और उनके कारण आज मैने सातवे स्थान में विजेताओं की श्रेणी में आई हु। मेरा रोम रोम रोमांचित हो उठा , सच कहती हूं इतनी खुशी तो बोर्ड की परीक्षा के परिणाम की भी नही हुई होगी।
मैं एक साधारण सी बढती उम्र की गृहणी हूं,
नही गृहणी कहना भी उचित नहीं है घर में 2 बच्चे है इसलिए घर की जिम्मेदारियों से भी आजाद नही हूं। एक बेटी 18 साल की है उसने फोन पर कितनी बाते देखना फोन पर लिखना पढ़ना सिखा दिया ।मेरी बेटी मेरी सबसे प्यारी सखी है ,वह मुझे इस आभासी दुनिया से जुड़ना सिखाती है। मेरे लिखें लेख और कविताओं को पहले खुद पड़ती है और फिर पोस्ट करने को कहती है मेरी सखी बहुत प्यारी है। उसने मुझे आप सब से मिलाया। मैं इस मंच पर 2021 से लिख रही हु। आप सभी ने मुझे प्रोत्साहित किया और बहुत प्यार दिया।बस फिर क्या था मैंने भी पीछे मुड़कर नहीं देखा । मेरे कलम को परवाज मिल गई मेरे विचारों को मंच मिल गया मुझे पंख लग गए मैंने उड़ना शुरू कर दिया।मुझे बहुत जल्द नासिक में अवार्ड मिलने वाला है।
मैं आप सब की बहुत-बहुत आभारी हूं मेरे लिखने से अब रिश्तेदार रूठते हैं तो रूठा करें..कुछ तो चाह कर भी लाइक का बटन दबाने से कतराते है। असल में यह मेरे लिए गौरव की बात है मैं इतने प्यारे और बिना किसी भेदभाव वाले मंच का एक छोटा सा हिस्सा हूं
मुझे अपने पोयट्री परिवार पर और खुद पर भरोसा है।हमारा प्यार और साथ यूं ही रहेगा घर-परिवार की तरह।
बस अब ये बाकी बची जिंदगी भी शांति से बिताना चाहती हु।
दीपाली कालरा नई दिल्ली से।

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