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1 Apr 2022 · 1 min read

जहाँ दिल ना बसे बसे, न है मानव मकान l

जहाँ दिल ना बसे बसे, न है मानव मकान l
जहाँ दिल है बिका बिका, जग तो वो दूकान ll

सब कर्मो का कोप है, डरता है डरपोक l
सहज सत्य का लोप है, कैसे पाए लोक ll

द्वेषी जीवन जाप का, द्वेषी शब्द प्रताप ।
ओ बुद्धिहीन हो कहाँ, बोलो बोलो आप ।।

सहज सच है जहाँ जहाँ, नही है वहाँ आप l
सोचो सोचो सहज से, कहाँ कहाँ है आप ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

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