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10 Jul 2021 · 1 min read

अइतू तनि लेतू तू जिआई,

माहुर अस लागत आ ई जुदाई,
अइतू तनि लेतू तू जिआई,

हकसल पिआसल मन धावे तोहरे लगे,
नेहिया के पानी में बोलिया के भेली,
घोरि तनि देतू तू पिआई,
अइतू तनि लेतू तू जिआई,

सुरतिया के दरसन के आतुर इ अंखिया,
बिन लोर होइ गइलें सूखअल पोखरिया,
सुरति तनि जइतू तू देखाई,
अइतू तनि लेतू तू जिआई,

जइसे कदुआ पे होखे सितुहा भी चोख,
सवनवा कसाई करे पोरे पोरे चोट,
अइतू तनि देतू सोहराई,
अइतू तनि लेतू तू जिआई,

हूँक रहि रहि के बा अंगुरियावत हिया के,
धई के अंकवारी में बा चापत जिया के,
आइ गरवा से लेतू लगाई,
अइतू तनि लेतू तू जिआई,

– गोपाल दूबे

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