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21 Oct 2021 · 1 min read

जइसे चाँद निकले

सज के आवे जइसे
सज जाला खेत सरसो फूल से,
हमर दिल तनी जोर से
धड़क जाला हो,
जइसे चाँद निकले बदरी के कोर से,
घूंघट सरके त ओकर
चेहरा नजर आला हो,
****
दूर बजे जैसे बंसी मग्न नेह में
गुण- गुणावे त सुर ओसही लग जाला हो,
जइसे भोरे झड़े बून्द ओस के दुभ से,
ओकर बतिया से स्नेह ओसही झड़ जाला हो।
जइसे चाँद निकले……
****

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