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5 Jan 2022 · 1 min read

हम

पुरी जिन्दगी इन्सान की यू ही निकल जाती है लेकिन समझ कुछ नही आता है
ओर जब समझ आता है तब दूसरो को
समझाने के लिये अपने पास कुछ नही रहता है । क्योकि तब हमे सब सही नजर आता है या फिर उसके विपरीत नजर आता है
अपने को श्रेष्ठ दिखाने के लिये कितनी महनत करनी पडती है | लेकिन जो श्रेष्ठ होता है वो खुद मैं भी श्रेष्ठ होता है| चाहे वो दूसरों की नजरों मे श्रेष्ठ हो या ना हो।
वो श्रेष्ठ होता है।

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