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2 Dec 2021 · 1 min read

पैसा दें तो दाखिला

दोहे

पैसा दें तो दाखिला, पेड हो गई सीट।
एकलव्य को आज भी, अर्जुन देता पीट।।

संस्थान सब निजी हुए, कैसे हो तालीम।
चुका सकें जो शुल्क तो, डले शिक्षा की नीम।।

शिक्षा – दिक्षा खूब ली, फिर भी न रोजगार।
पासपोर्ट बनवा लिया, वीजा भी तैयार।।

हिन्दू – मुस्लिम कर रहे, हर हाथ चलतफोन।
माली चमन उजाड़ते, बचा सकेगा कौन।।

सरकारी संस्थान पर, अनदेखी की मार।
अपनों के संस्थान को, बल देती सरकार।।

निर्धन कैसे पढ़ सकें, खत्म हुए सब राह।
कुक्करमुत्तों की तरह, स्कूल खोलते शाह।।

‘सिल्ला’ भी है कर रहा, शिक्षण का ही काम।
शिक्षा – दिक्षा ने दिया, ख्याति –ओहदा नाम।।

-विनोद सिल्ला

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