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29 Nov 2021 · 1 min read

ऊँचे दाम...

ग़र बेचनी हो बेहयायी, तो खरीददार बहुत हैं
मग़र शराफ़त के ऊँचे दाम, औकात के हैं बाहर…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’

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