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26 Nov 2021 · 1 min read

आत्मनिर्भर भारत

आत्मनिर्भर भारत

आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों
विश्व पर आश्रित न होकर आत्मनिर्भर हों
देखती आँखे हैं सपने, आत्मनिर्भर हों
हाथों में हो काम अपने, आत्मनिर्भर हों

इस महामारी ने हमको ख़ूब बतलाया
कच्चे मालों और तकनीकी पे डर छाया
दूसरे कन्धे से कब तक गन चलाओगे
उसने यदि उचका दिया न लक्ष्य पाओगे
इसलिए अब मन में ठाने आत्मनिर्भर हों
स्वयं की क्षमता को जाने आत्मनिर्भर हों
आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों……

लघु मँझोले काम धन्धों को बढ़ाएँगे
देश के घर – घर में धन्धे रोप आएँगे
हस्तशिल्पी श्रमिक बुनकर काम पाएँगे
देश – निर्माता उचित सम्मान पाएँगे
नागरिकता बोध जागे आत्मनिर्भर हों
पीड़ा दुःख दारिद्र भागे आत्मनिर्भर हों
आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों….

कुशल क्षमतावान हाथों देश जब होगा
प्रौद्योगिक औ चिकित्सा में ग़ज़ब होगा
नई तकनीकी से खेती को बढ़ाएँगे
स्वस्थ पर्यावरण हित हम वन लगाएँगे
राष्ट्र नव – निर्माण पाए आत्मनिर्भर हों
राष्ट्र् भक्ती ‘धवल’ छाए आत्मनिर्भर हों
आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों……

आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर हों
विश्व पर आश्रित न होकर आत्मनिर्भर हों
देखती आँखे हैं सपने, आत्मनिर्भर हों
हाथों में हो काम अपने, आत्मनिर्भर हों ||

रचना-प्रदीप तिवारी धवल

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