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7 Nov 2021 · 1 min read

हो समाज का हित ___ मुक्तक

हो समाज का हित जिसमें लेखनी मेरी वही लिखे।
मेरे लेखन में भेदभाव के कभी कोई शब्द नहीं दिखे।।
साहित्य दर्पण है _ मेरा इसी में समर्पण है।
स्वच्छ _ निर्मल _ सुंदर छबि सही सही दिखे।।
राजेश व्यास अनुनय

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