Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Oct 2021 · 1 min read

फेंक दो बंदूक, उठा लो कलम

तुमको है कसम
तुमको है कसम
देश की अपने
तुमको है कसम
एक खुबसूरत
समाज के लिए
फेंक दो बंदूक
उठा लो क़लम…
(1)
तुम लिखो किताबें
फिल्में बनाओ
अपने हर दर्द को
गीतों में गाओ
तुम दूर करो
अपने बारे में
लोगों के बीच
फैले हुए भरम…
(2)
एक क़तरा ख़ून भी
बहाए बिना
इंकलाब हो तबाही
मचाए बिना
कल के लिए
कुछ ना बचे
उठाओ कभी
मत ऐसे क़दम…
(3)
मीडिया में आओ
ब्यूरोक्रेसी में आओ
पुलिस, फ़ौज और
ज्यूडिशियरी में आओ
व्यवस्था का ही
हिस्सा एक बनकर
रख दो बदल कर
सत्ता का चलन…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#BloodlessRevolution
#रक्तहीनक्रांति #अंबेडकरआंदोलन
#आदिवासी #दलित #जनवादीगीत

Loading...