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13 Oct 2021 · 1 min read

जयति जय दुर्गा भवानी

जयति जय दुर्गा भवानी।
तुम सकल वरदानदानी।।

हरि शयन करने सिधारे,
देवता हा-हा पुकारे ।
मात ने मधु और कैटभ,
दैत्य शुम्भ-निशुम्भ मारे।।
कल्प का उद्गम निकट था,
और था चहुँओर पानी ।

कालिका काली कपाली,
आपकी शोभा निराली ।
दानवों पर कूद पड़तीं ,
सिंह पर होकर सवाली।।
सूक्ति हो या वेद सबने,
मात की महिमा बखानी ।

सृष्टि का उद्भव तुम्हीं से,
सृष्टि का विप्लव तुम्हीं से।
तुम दया करुणामयी हो,
जय विजय सम्भव तुम्हीं से।।
तुम जगत की प्राणदाता,
तुम सकल कल्याण दानी ।

— जगदीश शर्मा.

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