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5 Oct 2021 · 1 min read

साहब तेरे राज में

दोहे

साहब तेरे राज में, नित-नित मरते लोग।
तुझको फुरसत है नहीं, बढ़ता जाता रोग।।

ऑक्सीजन की घाट में, फूल रही है सांस।
पेड़ काट कर है किया, अपना जीवन ह्रास।।

जीवन झीनी डोर है, पल में जाती टूट।
लाभ-हानि-आय-व्यय के, भाव गए सब छूट।।

कितने अपने जा चुके, छोड़-छाड़ के साथ।
जिस भी घर से हैं गए, कुछ ना आया हाथ।।

कोरोना के काल में, छाया हा हा कार।
काम – धाम सब बंद थे, ठप थे कारोबार।।

रोजी – रोटी छिन गई, बेरोजगार लोग।
कैसे गरीब बसर हो, कैसे लागे भोग।।

सिल्ला भी है कह रहा, सुध लेलो सरकार।
समय भयानक आ गया, बेड़ा है मझधार।।

-विनोद सिल्ला

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