Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Aug 2021 · 1 min read

"क्या लिखूं"

सोचती हूं कुछ लिखूं,
शब्द आएं लिख ना पाए,
मन में भाव लहरों से आएं
बनते बनते फिर मिट जाएं
इस असमंजस में, मै क्या लिखूं !

कभी कभी मन को भी समझ ना आए
कभी सयाना, कभी भोला बन जाए
मै क्या बताऊं, कहां गई मै उलझ
इस उलझन में, मै क्या लिखूं !

मन मस्तिष्क द्वंद बढ़ता जाए
विचारों का जाल बनता जाए
मन विचारों में
ख्वाब टूटा देखती हूं !

इस द्वंद मैं कैसे लिखूं
चाह कर भी मैं लिख न पाऊं !

Loading...