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10 Jul 2021 · 1 min read

कंचनजंगा

वो है मेरे सपनों की कंचनजंगा
जब जब देखूँ मन हो जाए सतरंगा
मेरे सर चढ़कर वो करे ताण्डव यूँ
जैसे शिव के शीश विराजित हों गंगा
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’

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