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6 Jul 2021 · 1 min read

निर्गुण

छोड़ इहां के
आश रे मनवा
छोड़ इहां के आश..
(१)
इहां कबो ना
पूरा होई
प्यार के तोर
तलाश रे मनवा
प्यार के तोर तलाश…
(२)
मृग-तृष्णा में
जेतने भगबे
ओतने बढ़ी
प्यास रे मनवा
ओतने बढ़ी प्यास…
(३)
तोरा भगिया में
लिखल बा
अब इहे
वनवास रे मनवा
बस इहे वनवास…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#Nirgun

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