Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Jul 2021 · 2 min read

अखबार वाला

कहानी के पात्र
1.जीवन (अखबार बेचने वाला)
2.गीता (जीवन का पहला प्यार)

पहला दृश्य
जीवन अखबार के विभाग में कर्मचारी था I और घर-घर जाकर अखबार बांटने का काम करता था I
एक दिन उसे नए पते पर अखबार देने जाना था I अगले दिन वह जल्दी उठ गया क्योंकि उस घर को दूँढने में समय लग सकता था I रोज की तरह साईकल निकाली और चल पड़ा I रास्ते भर लोगों से पता पूछता रहा I
दूसरा दृश्य
आखिर सही घर पहुँच ही गया बाहर से आवाज लगाईं अखबार वाला …..अखबार वाला ………
अंदर से आवाज आई ,”भईया जी बाहर से डाल दीजिए”
जीवन ने कहा आपको बाहर आना पड़ेगा ,आज पहला दिन है पैसों की भी बात करनी है आपसे I
तभी कल से समय पर अखबार आपको मिल पायेगा I
जीवन मन ही मन बडबडाया कैसे लोग हैं बाहर भी नहीं आ सकते I मैं कब से इनके घर को दूँढते हुए यहाँ पहुंचा हूँ I एक गिलास पानी भी नहीं पूछा I ………………………………………….
अंदर से आवाज आई I –अभी आई रुको …..
जीवन को खड़े –खड़े आधा घंटा बीत गया I लेकिन कोई बाहर नहीं आया I अब जीवन को बहुत गुस्सा आ रहा था I वह फिर चिल्लाता है जल्दी आओ मुझे और भी घरों में अखबार बांटने के लिए जाना है I
गुस्से में जीवन साइकल की घंटी जोर –जोर से बजाने लगता है I तभी………………………………….दरवाजा खुलता है I
तीसरा दृश्य
जीवन सामने देखता है तो चौक पड़ता है I वह अपने चिल्लाने पर बहुत शर्मिंदा होता हैI
दरवाजे के सामने गीता पहियों वाली गाड़ी में बैठी थी I गीता वो लड़की थी, जिसने जीवन से प्रेम कर उसे बीच राह पर ही छोड़ दिया I
जीवन –गीता तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हुई ?क्या हुआ तुम्हारे साथ ?तुम्हारे पति कहाँ हैं ? घर के सभी लोग कहाँ हैं ?
और न जाने कितने ही प्रश्न पूछ डाले जीवन ने गीता से I उसे गीता की फ़िक्र हो रही थी I वह अभी भी गीता से प्यार करता था I
गीता ने जीवन को बताया शादी के दो साल बाद हम पूरे परिवार के साथ कहीं से लौट रहे थे Iऔर एक भयंकर दुर्घटना के शिकार हो गए I और मैं अपने पांव खो बैठी ,जहाँ मेरा पूरा परिवार सब ख़त्म हो गया …………………………………………………….गीता फूट –फूट कर रोने लगी I
जीवन ने गीता को सांत्वना दी और बिना कुछ बोले ही वहां से निकल गया I
चौथा दृश्य

रात 2बजे है और जीवन बार –बार करवट लेते हुए सोने की कोशिश कर रहा था I अंत में ,वह उठ कर बैठ जाता है I और अचानक से आप समझ जाता है , कि उसको क्या करने की जरुरत है I
अगले दिन फिर वह गीता के घर जाता है I बाहर से आवाज लगाता है ,गीता …….गीता …….
गीता दरवाजा खोलती है I जीवन गीता से कहता है क्या तुम मेरी जीवन संगनी बनाना चाहोगी I गीता रोते हुए जीवन से लिपटकर कहती है I हाँ

Loading...