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27 Jun 2021 · 1 min read

अकेलापन

कल जो आती थी खुशबू नहीं आज है
न वो सागर की लहरें न वो साज है
एक झोंका हवा का हिला दे रहा
आदमी सांस लेने को मोहताज है

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