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26 Jun 2021 · 1 min read

अजायबघर

अजीब अजायबघर है दुनिया
मान लो तो कायर हूँ, न मानो शामत है
वो चार लोग नही मिले कभी, जिनकी कहने की आदत है
प्यार करूँ तो सबके अलग नियम कायदे है
उस पर खुद कुछ क्यों नही करते, तोहमत है
जिंदगी चार दिन की दो सीखने में गुजारी दो वैसा ही करने में
तोते सी जिंदगी अपनी, ये जिंदगी ही है,हैरत है
बच्चों जी लो जब तक नासमझ हो
समझदार की जिंदगी, जिल्लत ही जिल्लत है

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