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18 Jun 2021 · 1 min read

काबिल

दोस्ती के काबिल न होऊँ, तो मुरीद बना ले
गरीबी का चेला हूँ, अपना फ़क़ीर बना ले
अपना बच्चा ही समझ, नादान हूँ ऊपरवाले
गोद मे ना बिठा सके, तो कदमो में बिठा ले

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