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28 May 2021 · 1 min read

तू न आया बरसात में

तू न आया बरसात में,
बैठी हूंँ तेरे इंतजार में,
लगने लगी सावन की झड़ी,
याद ना आई एहसास में ।

मेघा बरसे तू ना तरसे,
प्यास बढ़ रही रात में,
तन-मन सब भीग रहा है,
भीगी-भीगी बरसात में ।

आखिर तुम्हें अब आना है,
बरसात का बहाना है,
रिमझिम-रिमझिम बरस रहा है,
बरसात में पपीहा तड़प रहा है।

नैना बरसे बूंँदे छलके,
उपवन में नाचे मन-मोर,
ठंडी-ठंडी पवन चली है,
खुशबू तन की बिखर रही है ।

टपक रही है यौवन की बूंँदे,
झड़ी लगी घन-घोर घटा है,
थम जा तू बरसात का पानी,
भीग रहा है वह राह में ।

तन्हाई की छांँव में,
उमड़- घुमड़ रहे बादल मन में,
पहली सावन की मुलाकात में,
बरस रहा है बरसात में ।

# बुद्ध प्रकाश;मौदहा,हमीरपुर ।

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