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23 May 2021 · 1 min read

मुक्तक

221 2121 1221 212

मेरी वफ़ा का आपने कैसा सिला दिया।
सारे खतों को आपने पल में जला दिया।
खामोश जिंदगी है तुमसे मैं क्या कहूँ
अहसान है तुम्हारा कि ग़म से मिला दिया।

अदम्य

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