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22 May 2021 · 2 min read

एक सफर ऐसा भी।

बहुत समय के बाद अचानक ही वो बाज़ार में मिली।पहले तो हम काफी देर तक एक दूसरे को देखते ही रहे। फिर मैंने उससे कहा कि कहीं चल कर बैठते हैं। एक रेस्टोरेंट में जाकर कुछ नाश्ते और कॉफी का ऑर्डर किया।थोड़ी देर इधर उधर की बाते की। फिर मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और उसकी खूबसूरत गोरी पतली उंगलियों को निहारने लगा। उसके गाल थोड़े सिंदूरी हो गए। वह सकुचा कर बोली ये क्या कर रहे हो। मैंने कहा वह अंगूठी खोज रहा था जो तुम्हे शादी में गिफ़्ट की थी। उसके चेहरे पर एक उदास मुस्कान पसर गयी।आँखों में तरलता आ गई। मैंने कहा क्या हुआ इतनी परेशान क्यों हो गयी। अंगूठी खो गयी है क्या ?
उसने एक उदास मुस्कान के साथ जबाब दिया: तुम्हारी दी हुई कोई चीज मुझसे कभी गायब हो सकती है !
मैं : तो परेशानी का कारण ?
कुछ देर चुप रहने के बाद उसने कहा: किसी ने मेरे पति को तुम्हारे और मेरे बारे में बढ़ा चढ़ा कर बता दिया था।
मैं: तो बात तो छुपी नहीं थी । सबको मालूम था हम तुम रिलेशन में थे। किस्मत को मंजूर नहीं था तो एक नहीं हो सके।
उसने अपनी उस उंगली को जिसमें वह अंगूठी पहनती थी सहलाते हुए बताया : किसी ने उन्हें यह भी बता दिया था कि यह अंगूठी तुमने मुझे गिफ्ट की थी।
मैं : ओह समझा तुम्हे मजबूरी में उस अंगूठी से छुटकारा पाना पड़ा होगा। क्या किया किसी को दे दिया या बेच दिया।
इतना सुनते ही उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव उभर आये। मैं समझ गया कि मुझसे गलती हो गई।
मैं : माफ करना ऐसे ही मुंह से अचानक निकल गया। मेरा ऐसा कोई मतलब नहीं था।
वो मुस्कराई और अपना मंगलसूत्र गले से निकाल कर मेरे हाथ पर रखा दिया और कहा : तुम सही कह रहे हो छुटकारा तो पाना ही पड़ा पति कुछ कहते नहीं थे पर जब भी उस अंगूठी पर नज़र पड़ती तो असहज हो जाते थे। पर मैंने वैसा कुछ नहीं किया जैसा तुम सोच रहे हो। मैंने यह मंगलसूत्र बनवाया और अपनी अंगूठी इसी मंगलसूत्र में इस्तेमाल कर ली। पहले तुम सिर्फ अंगुली में रहते थे अब हर वक्त दिल के करीब रहते हो।

मेरे चेहरे पर एक नटखट मुस्कान आ गई: मुझसे तो अच्छी किस्मत इस अंगूठी की निकली जो अंगुली से सफर करता हुआ तुम्हारे दिल के पास पहुँच गया। मेरी किस्मत में तो सिर्फ तुम्हारी यादे हीं रह गयी है।
उसने मेरा हाथ हौले से दबाया और बहुत ही प्यार भरे स्वर में
कहा: सरस्वतीचन्द्र फ़िल्म का वह गाना याद है या भूल गए।

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या मन से मन का मिलन भी तो कुछ कम नहीं,
खुशबू आती रहे दूर से ही सही सामने हो चमन ये भी कम तो नही।

हम दोनों बरबस ही हँस पड़े। और हमारे साथ पूरा वातावरण भी मुस्कराने लगा।

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