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4 Apr 2021 · 1 min read

इल्जाम

जिंदगी है के जहन्नुम दिक्कतें तमाम।
दिन का क्या कहें अब दुस्वार है शाम।
किया होता तो क़ुबूल हो जाता
नेकियों की गिनती कम हजारों इल्जाम।

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