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12 Mar 2021 · 1 min read

शंख बांसुरी चक्रधर,आजा इह संसार

शंख बांसुरी चक्रधर,आजा इह संसार।
लोकतंत्र पर हो रहा, है अब अत्याचार।।

दुश्मन भी खिल्ली उडा़,कसता है अब तंज।
मुख पर अब कालिख पड़ी, कैसे प्रगटे रंज।।

लाल किले प्राचीर से,हुआ उपद्रव घोर।
कुछ मुट्ठी भर लोग ही,मचा रहे हैं शोर।।

शर्मशार दिल्ली हुई,खुद अपने ही हाथ।
इज्जत जब दागी हुई,पीट रहे हैं माथ।

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