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11 Mar 2021 · 1 min read

शिव शक्ति

प्रकृति पुरूष के बीच में , हो रिश्ता बेजोड़
लिप्त हुए शिव शक्ति में,प्रेम अंकुर को फोड़

चली शक्ति शिव वरण को, करे दिशाएँ गान
हरषित होते प्रकृति पुंज , छेड रहे मृदु तान

सृष्टि चक्र यूँ चले जब, पाता बहु विस्तार
अर्द्ध नारी रूप शिव ,करते सागर पार

रहे एक दूसरे पर , नर नारी का अधिकार
प्रेम विजेता प्रीत के , यहीं सृजन का सार

जीवन दे उस भक्त को ,होये जिस पर हाथ
जिस मन मन्दिर रमा शिव , रहे उसी के साथ

Language: Hindi
77 Likes · 1 Comment · 807 Views
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