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11 Mar 2021 · 1 min read

शिवरात्रि पर दोहे

तेजस्वी परमेश्वर , जिनका रूप प्रचंड
सब देवों के देव हैं,वो शिव श्रेष्ठ अखंड

एक हाथ डमरू सजे, दूजे हाथ त्रिशूल
सत,रज तम के शूल सब , शिव करते निर्मूल

सजे भाल पर चन्द्र है, रहे जटा में गंग
क्रोधित हो तांडव करें, शिव को प्रिय है भंग

शिव शंकर जी हैं बड़े, भोले भाले नाथ
अपने भक्तों का सदा, थामे रहते हाथ

शिव भूखे हैं भाव के, होते तुरत प्रसन्न
पाता जो इनकी कृपा,होता नहीं विपन्न

नन्दी गणपति पार्वती, शिव जी का परिवार
भक्तों को निर्भय करे, दुष्टों का संहार

शिव सुंदर शिव सत्य भी, शिव ही है ओंकार
ओम शिवः के जाप से, होते भव से पार

आया शुभ शिवरात्रि का, देखो पर्व महान
पंचामृत अभिषेक से, कर लो पूजन ध्यान

11-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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