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27 Feb 2021 · 1 min read

सन्त कवि रैदास पर दोहा एकादशी

संतों में इक सन्त है, अजर-अमर रविदास
सीधे साधे सन्त पर, सबको है विश्वास //१.//

होती सभ्य समाज की, कर्मों से पहचान
जाति-पाति में क़ैद हैं, क्यों मानव नादान //२.//

श्रद्धा-ओ-विश्वास पर, माँ गंगा को लाय
छोटे से इक पात्र में, नदिया रही समाय //३.//

भेदभाव का अन्त यदि, सम्भव तभी विकास
वरना विलुप्त जानिए, धर्म-कर्म अरदास //४.//

ऊँच-नीच का भेद यह, करता सब कुछ नाश
न मिटाया यह फ़र्क़ तो, होगा फ़क़त विनाश //५.//

रंग खून का लाल है, दो ऑंखें दो हाथ
बीच हमारे फ़र्क़ क्यों, क्यों न रहें सब साथ //६.//

माघ पूर्णिमा के दिवस, जन्म लिए रैदास
गोवर्धनपुर सीर* में, उत्सव होता ख़ास //७.//

तेरह सौ सत्ततर को, प्रकट हुआ विश्वास
जन्मे शिव जी के नगर, काशी में रैदास //८.//

चन्दन हो भगवान तुम, पानी है रैदास
मुझमें सुगन्ध आपकी, भक्ति करूँ मैं ख़ास //९.//

यूँ भक्तकवि अनेक हैं, बचे न कोई शेष
जात-पात पर चोट की, गुरु रविदास विशेष //१०.//

हिन्दू मुस्लिम एकता, यह कवि का अहसास
भक्तिकाल की सोच यह, महान कवि रैदास //११.//

•••
_______________
*गुरु रविदास का जन्म सीर गोवर्धन गाँव में माघ पूर्णिमा के दिन 1377 ई. में हुआ था। यह ‘बनारस’ ज़िले के अन्तर्गत आता है। बनारस को भगवान शिव की नगरी ‘काशी’ (मोक्षद्वार) के नाम से भी विश्वभर में जाना जाता है।

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 720 Views
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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