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27 Feb 2021 · 1 min read

एक मुकम्मल वतन का ख़्वाब

एक मुकम्मल वतन का ख़्वाब
एक मुकम्मल समाज का आगाज़
एक मुकम्मल जिन्दगी का एहसास
बस इतनी सी आरज़ू मेरी

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