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6 Feb 2021 · 1 min read

मुक्तक (सीख)

कविता ऐसी हो जो हर कोई समझे सरलता से ,

तरन्नुम ऐसी हो जो हर कोई गा-पावे लय-ता से ,

कहे रसिया करो विन्यास ऐसा हर कोई समझे ,

हो लेखन ऐसा जो की अर्थ में आवे सुलभता से ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित

कान्हा…….. ✍

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