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4 Feb 2021 · 1 min read

'अर्चना' वरना लौट आते हम

बात पर अपनी अड़ न जाते हम
तो समझ भी न तुमको पाते हम

बात रख लेते तुम अगर अपनी
तो कसम अपनी भी निभाते हम

रखते अहसान तो नहीं ऊपर
अपने अधिकार गर जताते हम

करते विश्वास तुम अगर हम पर
दूरी तुमसे नहीं बनाते हम

हम कहीं भी अगर गलत होते
तो यकीनन तुम्हें मनाते हम

मुस्कुराते सदा ही रहते हैं
दर्द दिल का नहीं दिखाते हम

हो दरारें गईं हैं गहरी अब
‘अर्चना’ वरना लौट आते हम

03-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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