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22 Sep 2020 · 2 min read

शीरो

अधखुले दरवाजे के पूरे पाट खुलते ही वो सड़क की ओर दौड़ पड़ा और खुले आकाश को देखने लगा जहां बादल दायें से बायें तीव्रता से एक दूसरे को रोंदते आगे बढ़ रहे थे वो काफी दिनों के बाद आज घर से बाहर निकला था अक्सर वो दरवाजे पर ही बैठा सामने दौड़ते कुत्तों पर भोंका करता था मैं बात सबके चहेते डाॅगी शीरो की कर रहा हूं गाड़ी के पिछले भाग से यकायक बड़े आकार व उम्र में बड़ा कुत्ता उसके सामने था शीरो घिघियाकर रह गया पर स्वयं को साबित करने के लिए भोंकता रहा दो पल में ही बड़े कुत्ते से सहम गया बड़ा कुत्ता पिछली बातों को स्मरण करते हुए उसे डांटता रहा झपटता रहा साले तुम हमेशा हमे देखकर मजे लेते हो आज सामने बोल तो अभी नोच खांऊ तुझे!
नहीं भाई ग़लती हो गयी मैं तो योंही बस! छोटा कुत्ता रुआंसा होकर,ना आज आर पार हो ही जाए मैंने तुझे बंद दरवाजों के सींखचों से पहले भी कई मर्तवा
समझाया पर तेरी मति मारी गयी जो मुझसे उलझता है मैंने मोहल्ले के बड़े बड़े
तुर्रमखां कुतों को धूल चटा दी मुझसे फिर उलेझेगा बता?बड़े कुत्ते की आंखों में
उत्साह और स्वयं को सिद्ध करने का यथासमय था पर छोटा कुत्ता बिलबिलाता रहा सहसा उसे किसी अन्य जाति के प्राणी की आहट व आवाज़ सुनी जिससे बड़े कुत्ते की आंखों में भय का संचार दौड पड़ा छोटा कुत्ता मौका देखकर भाग खड़ा हुआ और अधखुले दरवाजे से अंदर लपक आया पास ही खड़ी गाड़ी को कोई पीछे की तरफ मूव कर रहा था गाड़ी पीयुम पीयुम पीयुम टर्रररररररड पीयुम पीयुम पीयुम कर रही थी पर छोटे शीरो में अब तक जान आ चुकी थी आज उसे देखकर लगा उसे अपनी ग़लती का अहसास है योंही अहमक की भांति भौंक कर स्वयं को खतरे में डालने के समान है पर भाई उसमे उसकी ग़लती भी क्या है उसका धर्म ही भौंकना है किसी भी अपरिचित पर।आकाश में बादल घुमड़ चुके है लगता है एक बार फिर बरसात होगी शीरो फिर से अपनी जगह पर लौट चुका है और दरवाजों के सींखचों से जीव जानवरों निहार रहा है।

मनोज शर्मा

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