Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2020 · 2 min read

मजबूरी

सुबह के 8:30 बजे थे राहुल ने बजरंग ढाबा बरेली से पीलीभीत का सफर तय किया कई दिनों से मन में बहुत उथल पुथल चल रही थी इसलिए अपनी दादी माँ से मिलने पीलीभीत निकल पडा। बजरंग ढाबे पर पहुंचते ही उसे रोडवेज की बस मिल गई। वह बस में चढ़ गया और एक युवती के पास जाकर बैठ गया। सामाजिक सरोकारों और भावनाओं से भरा राहुल एक शौकीन कवि लेखक था चेहरे पढना परिस्थितियों को भाँपना और उन परिस्थितियों को शाब्दिक तर्क के आधार पर अमली जामा पहनाना उसका विशेष हुनर था उस युवती के साथ बैठकर उसकी भाव भंगिमा को देखते ही राहुल समझ गया कि वह किसी ड्रामा कम्पनी की अदाकारा है जो अपनी तीन अन्य सहयोगियों के साथ किसी कार्यक्रम में प्रतिभाग करके आ रही थी जैसा कि कवि का अर्थ ही होता है कि किसी मनुष्य के आन्तरिक दर्द को लिखना। राहुल भी चारों युवतियों के चेहरे पर बिखरी दिखावटी हंसी के बीच उनके उस मायूस चेहरे को पढने की कोशिश कर रहा था जहाँ एक नारी ने अपने नारित्व का परित्याग कर स्वयं को विभिन्न मंचों का खिलौना बना लिया था और कुछ हद तक जब वह पढ़ पाया, तो उसमें उसे कुछ आँसूओं में सने अल्फाज़ मिले जहाँ उसे उन युवतियों के भीतर कई किरदार मिले। राहुल उनमें एक बचपन से मिला मिला, जो किसी चौपाल पर बैठकर गुड्डे-गुडिया की शादी रचाकर छोटे-छोटे भगोनो में दार-हप्पा बनाकर उन्हें खिलाना चाहता था, एक बहन मिली जो अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसके माथे पर तिलक करना चाहती थी, एक छुटकी मिली जो अपने पापा के कन्धे पर बैठकर मेला जाना चाहती थी, एक विधार्थी की छवि मिली जो पढ़ लिखकर आसमान छूना चाहती थी, एक माँ की लडैती बिटिया मिली जो अपनी शादी के बाद विदाई के गमगीन पलों में अपनी माँ के आलिंगन से लिपटकर अपनी पलकों को भिगोकर रोना चाहती थी एक लड़की मिली जो किसी अच्छे इंसान को अपना हम सफर बनाकर उसके साथ अपनी जिन्दगी के हसीन पलों को आँखों में भरना चाहती थी एक माँ मिली जो एक नवजात शिशु को अपने गर्भ में पालकर ममता के एहसास को जीना चाहती थी और एक स्वाभिमान के साथ अपनी जिन्दगी जीना चाहती थी लेकिन राहुल को उन युवतियों के भीतर इतने सारे किरदारों की तलाश में मिला था बस एक किरदार, जिसका नाम था मजबूरी।

© मोहित शर्मा स्वतंत्र गंगाधर

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 595 Views

You may also like these posts

पार्वती
पार्वती
लक्ष्मी सिंह
भाषा
भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
प्यासे मन की कल्पना,
प्यासे मन की कल्पना,
sushil sarna
#वी वाँट हिंदी
#वी वाँट हिंदी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
कुछ मुक्तक
कुछ मुक्तक
Dr.Pratibha Prakash
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
प्रभु वंदना
प्रभु वंदना
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कौन सा जादू टोना करते बाबा जी।
कौन सा जादू टोना करते बाबा जी।
सत्य कुमार प्रेमी
भोजपुरी भाषा
भोजपुरी भाषा
अवध किशोर 'अवधू'
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
Sanjay ' शून्य'
असफलता अनाथ होता है।
असफलता अनाथ होता है।
Dr.Deepak Kumar
शैतान का मजहब
शैतान का मजहब
राकेश पाठक कठारा
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
जीवन की ढलती शाम
जीवन की ढलती शाम
नूरफातिमा खातून नूरी
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
Shinde Poonam
लड़ी अवंती देश की खातिर
लड़ी अवंती देश की खातिर
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
जीना चाहती हूं जिंदगी को अपने ही ढंग से
जीना चाहती हूं जिंदगी को अपने ही ढंग से
Mamta Rani
2545.पूर्णिका
2545.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
" कद्र "
Dr. Kishan tandon kranti
*प्रेम*
*प्रेम*
Priyank Upadhyay
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
शिव
शिव
Dr. Vaishali Verma
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
Ranjeet kumar patre
तेरे चेहरे का नूर सांवरे,
तेरे चेहरे का नूर सांवरे,
श्याम सांवरा
The greatest luck generator - show up
The greatest luck generator - show up
पूर्वार्थ
My love and life
My love and life
Neeraj kumar Soni
वीर दुर्गादास राठौड़
वीर दुर्गादास राठौड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
रेशम की डोर राखी....
रेशम की डोर राखी....
राहुल रायकवार जज़्बाती
Loading...