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13 Jul 2020 · 1 min read

समझिए जनाब।

बाअदब हर बात कहते हैं माना,
सबसे बाइज़्ज़त मिलते हैं आप,
ख़ुद को भी इज्ज़त बक्शिए ज़रा,
कि अहमियत अपनी भी समझिए जनाब,

कभी-कभी ख़ामोशी के भी,
समझने चाहिए इशारे जनाब,
जब अंदाज़ होने लगे नज़रअंदाज़,
तो ख़ुद ही हो जाइये किनारे जनाब,

मीठे बोल जो बोलते यहां,
उन्हें दुनिया कहती है फ़रेबी हैं आप,
सम्मान से घायल आत्म सम्मान हो अगर,
तो फिर आप क्या कीजिएगा जनाब।

-अंबर श्रीवास्तव।

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