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23 Mar 2020 · 1 min read

जागृत रहो निकेत

रहता शत्रु अदृश्य जब, जागृत रहो निकेत ।
जैसे बच्चों के लिए, …….माता रहे सचेत ।।

बलबूते पर स्वंय के, किया न जब कुछ खास ।
हाथ शत्रु का थाम कर,..रखें वो उनसे आस ।।
रमेश शर्मा

Language: Hindi
2 Likes · 552 Views

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