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18 Mar 2020 · 1 min read

दोहे

बैनर वैनर सब हटे घटे सबहिं के भाव
फिर से अपने देश में घोषित हुए चुनाव

पाँच साल जो न दिखे गिरे पड़े हैं पाँव
एसी का सुख छोड़ के नेता टहलैं गाँव

पब्लिक ले औजार हिय रहि रहि मारै चोट
पेंशन तो मिलबै करी अब काहे का वोट

बड़कउआ के पैर पर गिरे पड़े सरकार
अबकी किरपा फिर करो हमरे तारनहार

कमल खिला सइकिल चली हाथी रहा चिंघाड़
पंजा झाड़ू से कहै सबका देबै फाड़

दारू वारू न लिह्यो न कौनो से नोट
पहुंचौ बूथ पे सब जने जम के मारौ चोट

हित है किसमे देश का करो हृदय से बात
बिना विचारे न करेओ वोटन के बरसात

संविधान इस देश का देखो नहीं लजाय
जातिवाद के नाम पर वोट न डाल्यो भाय

एक वोट लै के फिरैं सबै उतान उतान
मतदाता की जय करे सारा हिन्दुस्तान

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